दुनयाँ में सबसे पहले आज़ान किस ने दीया - Who Gave the First Azaan in the World
दुनयाँ में सबसे पहले आज़ान किस ने दीया - Who Gave the First Azaan in the World
दुनयाँ में सबसे पहले आज़ान की शुरुआत किस तरह की गई खुलासा ये है के एक मर्तबा हुजूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने सहाबा से मशवरा फ़रमाया के कोई ऐसी सूरत एखतेयार की जाए जिससे लोग नमाज के लिए सारे लोग जमा हो जाए
कुछ सहाबा केराम बोले की नाकुस बजाया जाए किसी ने कहा सँग फूंका जाए किसी ने कहा ऊँची जगह पे आग लगा कर रौशन किया जाए सभी सहाबा केराम मशवरा कर के अभी फैसला नहीं किये थे के हजरते अब्दुल्लाह इब्ने जैद ने ख्वाब में देखा के
एक शख्स आसमान से निचे आया उसके हाथ में एक नाकुस था हजरते अब्दुल्लाह इब्ने जैद ने उससे कहा के ऐ अल्लाह के बन्दे क्या तुम इस नाकुस कों बेचोगे उस ने कह तुम इसको खरीद कर क्या करोगे उन्हों ने जवाब दिया के इससे लोगों कों नामज के लिए बुलाऊँगा उस ने कहा मैं तुमको इससे बेहतर चीज सिखाता हूं के
जब नमाज का टाइम हो जाये तो इन कलामत कों कहा करो फिर उसने आखिर तक आज़ान एक खास कैफियत के साथ सिखाई फिर कुछ देर बाद तकबीर का तरीका बताया जब सवेरा हुआ तो हजरते अब्दुल्लाह इब्ने जैद ने अपना ख्वाब हुजूर सल्लाहु अलैहे वसल्लम से बयान किया आप हुजूर सल्लल्लाहु अलैहे वसलम ने सुन कर फरमाया ये ख्वाब हक़ है जाओ हजरते बेलाल कों बताओ
हजरते अब्दुल्लाह इब्ने जैद कहते हैँ के हम हजरते बेलाल कों बता रहे थे और हजरते बेलाल बुलंद आवाज़ से आज़ान दे रहे थे हजरते फारुके आजम ने जब आज़ान की आवाज़ सुनी तो फ़ौरन अपनी चादर घसीटते हुए बरगाहे मुस्तफा में हाजिर हुए अर्ज किया या रसूललाह मैं ने भी यही ख्वाब देखा जो उन्होंने कहा उस पर हुजूर साल्लाहु अलैहे वसलम ने फ़रमाया (फलिल्लाहिल हमद )बाज रावयातों में है के इस सिलसिले में आप पर वही भी आगई थी
दुनयाँ में सबसे पहले आज़ान किस ने पढ़ी
इंसानों में सबसे पहले हजरते बेलाल आज़ान पड़े थे और फिरिश्तों में सबसे पहले हजरते जीबराइल अलैहिस्सलाम पढ़े थे लेकिन दुनयाँ में सबसे पहले आज़ान हजरते जीबराइल अलैहिस्सलाम पढ़े थे हजरते बेलाल से पहले
जब हजरते आदम अलैहिस्सलाम मुल्के हिंदुस्तान में उतरे तो आप कों तन्हा रहने की वजह से आप पर वहशत तारी हो गई तो इतने में अल्लाह तआला के फ़रिश्ते हजरते जीबराइल अलैहिस्सलाम मुल्के हिंदुस्तान में तशरीफ़ लाये और फिर आज़ान पड़े जिससे हजरते आदम अलैहिस्सलाम की वहशत दूर हो गई
क्या हजुुर सल्लाहु अलैहे वसल्लम खुद से कभी आज़ान पढ़े हैँ जी हाँ खुद पूरी कायनात के नबी होते हुए पूरी क़ायनात के सबसे खूबसूरत होते हुए एक मर्तबा सफर के दौरान जोहर की आज़ान पढ़े और आपने अशहादू अन्ना मुहम्मदुर रसूलुल्लाह की जगह ( अशहादू इन्नी रसूलुल्लाह पढ़े )
इसका मतलब ये है के मैं गवाही देता हूं के मैं अल्लाह का रसूल हूं ) जब दुनयाँ का कोई पर्सन आज़ान मे ये कहता है ( अशहादू अन्ना मुहम्मदुर रसूलुल्लाह )तो इसका मतलब होता है मैं गवाही देता हूं के मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैँ
आज़ान के लिए दुन्या में सबसे पहले मीनारा किस ने बनवाया दुन्या. में जब आज़ान का सिलसिला शुरू हो गया तो हजरते अमीरे मवाइया ने सबसे पहले एक मीनारा बनवाये और मीनारा बनवाकर सबसे पहले मीनारा पर आज़ान पढ़ने के लिए हजरते (शर्जिल बिन हसना ) का इंतेख्वाब किये और उन्ही से आज़ान पढ़वाये
हजूर सल्लाहु अलैहि वसल्लम के खास मोअज़ीन कितने थे जब आज़ान का सिलसिला बिलकुल पूरी तरह से कायम हो गया तो कुछ मोआज़ीन चुने गए जिसमे से हुजूर साल्लाहु अलैहि वसल्लम के खास मुअजिन चार थे उनमे से पहले हजरते बेलाल हबशी थे और दूसरे मे हजरते अब्दुल्लाह इब्ने मक्तुम जो
मदीना शरीफ मे मस्जिदे नबवी के मोअज़ीन रखे गए थे और तीसरे हजरते साअद बिन आयद जो मस्जिदे ( कबा ) के मोआज़ीन थे और चौथे हजरते महजुरा जो मक्का मुकारर्मा में मस्जिदे हराम के मोआज़ीन थे ये चारो मोअज़ीन हुजूर सल्लाहु अलैहि वसल्लम के बहुत ही खास थे मोज़िनो में
क्या आज़ान और ताकबीर सिर्फ उम्मते मोहम्मदी के लिये खास हुक्म है जी हाँ आजान और तकबीर सिर्फ और सिर्फ उम्मते मुस्तफा सल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए खास हुक्म और जितने भी नबी आये रसूल आये उन सब के उम्मती के लिए हुक्म नहीं है
आज़ान पढ़ना कब सुन्नत है जब पांच की नमाज़ों मे से किसी भी नमाज़ का वक़्त हो जाए तो आज़ान देना सुन्नत है और नमाजे जुमा के लिए जब जमात के साथ मस्जिद में वक़्त पर नमाज अदा किया जाए तो उन के लिए आज़ान पढना ( सुन्नत मुआकेदा ) है यानि हर हाल में आज़ान पढ़ना जरुरी है इसको छोड़ने पर गुनहगार होगा
आज की इस आर्टिकल में आपने जाना के दुनयाँ मे सबसे पहले आज़ान किस ने दी और अज़ान की शरुआत कैसे हुई और कहाँ से आज़ान की शुरुआत कहाँ से हुई
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