जमानत के आधार क्या हैँ : Grounds of Bail in Hindi
जमानत को समझने से पहले ये समझना जरुरी है के जमानती और गैर जमानती अंतर क्या है कौन से अपराध जमानती हैँ और कौन से अपराध गैर जमानती है CRPC के Section 2 ( A) जमानती और गैर जमानती की डेफिनेशन दी गई है
जमानती अपराध ओ अपराध होते हैँ जिन्हें CRPC के प्रथम अनुसूची में जमानती अपराध के रूप में दिखाया गया है या इसके ऐलावा किसी और कानून द्वारा उस अपराध को जमानती बनाया गया हो चलये अब देखते हैँ के
जामानती अपराध मे बेल कैसे मिलती है
जमानती अपराध का अभी कोई यानि डिफेडेंड पुलिस द्वारा बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जाता है या कोट में पेश किया जाता है या पुलिस के द्वारा लाया जाता है तो ओ अगर जमानत देने को तैयार है तो ऐसे वेक्ति को जमानत पर छोड़ दिया जाएगा
कोई वेक्ति अगर जमानती अपराध में गिरफ्तार किया गया है और एक हफ्ते के अन्दर अन्दर ओ अपनी जमानत देने में असमर्थ है तो तो कोट उसे खुद छोड़ देगा लेकिन जमानत जब्त और पितिबंध आत्मय करेवाही यों ये नियम लागु नहीं होते हैँ CRPC Section 436 अब यहाँ पर एक सवाल ये उठता है के
जमानती अपराध में अपराधी को जेल में कितने दिन तक बंद करके रखा जा सकता है कोई भी अपराधी जेल में बंद है तो जिस अपराध में उसे जेल भेजा गया है उस अपराध की अधिकतम सजा की अवधि का आधे से अधिक की सजा काटने के बाद उस अपराध को छोड़ दिया जाएगा किसी भी अपराधी को अपराध के लिये अधिकतम करेवाही से ज्यादा जेल में नहीं रखा जायेगा
जैसे अगर किसी अपराधी ने कोई ऐसा कराईम किया है या कोई ऐसा अपराध किया जिसमें उसको जिसमें उसको 5 साल की सजा मिलनी है तो उसे 5 साल से ज्यादा नहीं रखा जा सकता CRPC Section 436अब मै आपको बंताने वाला हूँ के
गैर जमानती अपराध में अपराधी को बेल कैसे मिलती है
जब भी कोई वेक्ति गैर जमानती अपराध करता है और पुलिस के द्वारा बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करके कोट में लाया जाता है या कोट में ओ खुद ही हाजिर हो जाता है तब ऐसे आरोपी को मजिस्टेट जमानत के आधार पर छोड़ सकता है लेकिन इसकी कुछ शर्ते हैँ
इसकी पहली शर्त ये है के जो अपराधी ने जो अपराध किया है उसकी सजा फांसी नहीं होनी चाहिए और जो उसने अपराध किया है उसकी सजा पूरी जिंदगी नहीं होनी चाहिए पहले से किसी अपराध में दोसीत भी नहीं होनी चाहिए या फिर जो अपराधी है उसे महिला होने चाहिए या फिर जो अपराधी है बीमार रोगी पर्सन होना चाहिए तो अगर ऐ सारी के सारी शर्ते है तो फिर उसको जमानत पर छोड़ा जा सकेगा CRPC Section 437अब मै आपको बताता हूं के
अगर डिस्टिक कोट जमानत नहीं देता तो फिर क्या होता है जब भी कोई मजिस्टेट किसी भी हालत में गैर जमानती अपराध डिफेडेंड को जमानत नहीं देता तो हाई कोर्ट में जमानत के लिये अर्जी पेश किया जा सकता है और हाई कोट ऐसे जमानत पर छोड़ सकता है CRPC Section 439 ये बताता है के अगर डिस्टिक कोट से गैर जमानती अपराध में जमानत नहीं मिलती तो तो हाई कोट अर्जी पेश करनी चाहिए हाई कोट ऐसे जमानत पर छोड़ सजता
जब कोट किसी आरोपी को दोस मुक्त करते हुए फैसला कर देता है तब ऐसे दोस किये आरोपियों से इस बात की जमानत ली जा सकती है के अगर उनकी अगर कभी कोट में जरुरत पड़ी तो उनको कोट में आना पड़ेगा तो जो ऐसी जमानत जो ली जाती है उसका समय सिर्फ 6 महीने तक रहता है ओ जमानत 6 महीने तक लागु रहती है CRPC Section 437 A अब मै आपको बताने वाला हूं
अग्रिम जमानत क्या होती है
जब भी किसी वेक्ति को ये डर होता है के उसे किसी गैर जमानती अपराध में गिरफ्तार किया जा सकता है तब ऐसा वेक्ति हाई कोट में जमानत पर रहा होने के लिये एक अप्लीकेशन देगा और हाई कोट उसे जमानत दे सकता है CRPC Section 438 ऐ बताता है जब भी किसी वेक्ति को किसी गैर जमानती अपराध में गिरफ्तार होने जाने का डर है तो तो ओ गिरफ्तार होने से पहले ही
हाई कोर्ट मे जमानत के लिये एक अप्लीकेशन देगा और हाई कोट उसे अग्रिम जमानत दे देगा जब भी किसी आरोपी की जमानत मंजूर कर ली जाती है और आरोपी के द्वारा जामनत कोट के सामने पेश कर दी जाती है तो कोट ऐसे वेक्ति को छोड़े जाने के लिये जेलर को रेहाई का आदेश कर देगा और आदेश के पालन डिफेडेंड को तुरंत छोड़ दिया जाएगा CRPC Section 442
न्यायालय किसी आरोपी को अतरिक्त जमानत पेश करने का आदेश दे सकता है
अगर कोट को ये लगता है या भूल या कपट या किसी अलग कारण से अप्रयात जमानत सुविकार कर ली गई है तो प्रयात जमानत प्रस्तुत ना करने की दशा में आरोपी को फिर से जेल भेजा जा सकता है CRPC Section 443
कोई भी जमानत दार जिसने कीसी आरोपी की जमानत दी है अगर ओ अपनी जमानत रद करने के लिये मजिस्टेट को आवेदन दे तो उसका आवेदन मान लिया जाएगा और इन हालत में मजिस्टेट आरोपी को फिर से जमानत पेश करने का ऑडर देगा और अगर आरोपी जमानत पेश नहीं करता तो आरोपी को जेल की सुपुर्द कर दिया जाएगा CRPC Section 442
ज़ब भी कोई आरोपी अपनी रेहाई के लिये कोई जमानत दार पेश नहीं कर पाता है तब आरोपी जमानत की राशि कोट में नकद जमा करने के लिये या बैंक fd या वचन पत्र जमा करने के लिये कोट में आवेदन कर सकता है और कोट द्वारा अनुमति दी जाने पर आरोपी को रिहा किया जा सकता है CRPC Section 445 अब मै आपको बताता हूं के
जमानत जब्त होने की पार्किंर्या और प्रोसेस क्या है
जब भी कोई आरोपी न्यायलय से गैर हाजिर रहता है और जमानत की शर्तो को पालन नहीं करता है तो कोट उसकी जमानत को जबत कर लेता है और कोट जमानती से राशि जमा करने की मांग कर सकता है CRPC Section 446-446 ( A)
तो दोस्तों आज की इस आर्टिकल में आप ने जाना के जमानत क्या होता है जमानत कैसे कराई जाती है और किन किन आपराधिक मामलों में जमानत हो सकती है और जमानत कैसे जब्त की जाती है आशा करते हैँ ये आर्टिकल पसंद आया होगा
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