Islami Articles
बिस्मिल्लाहीररहमानीररहीम
( अलजवाब )
जी हाँ !बच्चे को रोजे का हुक्म देना भी नमाज की तरह हुक्म रखता है - यानि जब सात साल का हो जाए तो रोजा रखने को कहा जाये, जब के उसकी ताकत रखता हो और दस साल का हो जाए तो बच्चे को मार कर रोजा रखवाया जाए -
अल्लामा शमसुद्दीन मोहम्मद खुराशानी रहमतुल्लाह अलैह लिखते हैँ | के बच्चे को रोजा रखने का हुक्म दिया जायेगा जब की वह उसकी ताकत रखता हो | इमाम अबू बकर राजी अलैहिर्रिहमा ने इसी तरह बयान किया इमाम मोहम्मद रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है के बच्चे को उस वक़्त ( रोजे का आदाब सिखाये ) जाएं |
और इमाम अबू हफ़्स रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया के दस साल के बच्चे को रोजा ना रखने पर उसी तरह मारा जाये जिस तरह नमाज ना पढ़ने पर ( मारने का हुक्म है ) और यही सही है -
( हवाला ) जामेउर रूमुज किताबूस सौम जिल्द 1 साफा 374 )
अल्लामा हसकफ़ी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैँ
के सही कौल के मुताबिक बच्चे को हुक्म दिया जायेगा जबके वह उसकी ताकत रखता हो और दस होने पर उसको ( रोजा ना रखने पर ) मारा जाये जैसे नमाज के बारे में हुक्म है |
इसके तहत अल्लामा शमी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है के अल्लामा तहतावी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया के ( रोजे रखने की ताकत की उम्र सात साल मुकरर की गई है और हमारे ज़माने में मुशाहिदा ये है के बच्चे उस उम्र रोजे रखने की ताकत नही रखते मैं कहता हूं ताकत होना जिस्म और सर्दी गर्मी में वक़्त के मुख़्तालीफ होने बदल जाएगी
और जाहिर ये है के बच्चे पुरे महीने के रोजे रखने पर कादिर न हो तो उसकी ताकत के बराबर रोजे रखवाएं
( हवाला ) दुर्रे मुख़्तार माआ। रद्दूल मुख़्तार किताबू स सौम जिल्द 3 साफा 444 )
Less Tahan 12 Years old Children Keeping Roza in Ramadann | कितने साल के बच्चे को मार कर रोजा रखवाने का हुक्म है
कितने साल के बच्चे को मार कर रोजा रखवाने का हुक्म है | Less Tahan 12 Years old Children Keeping Roza in Ramadann.
( फतवा रमजान के रोजे का )
रोजा किस पर फर्ज है ?
बच्चों को मार कर रोजा रखवाने का क्या हुक्म है
क्या फरमाते हैँ ओलमाये दिन और मुफ़्तीयाने शरअ इस मसअले के बारे में के जिस तरह बच्चों को सात साल की उम्र में नमाज का कहने के बारे में हुक्म है और दस साल की उमर नमाज ना पढ़ने की सूरत में मारने का भी हुक्म है, तो क्या रोजे के बारे में यही हुक्म शरई है या फिर कुछ और ?बिस्मिल्लाहीररहमानीररहीम
( अलजवाब )
जी हाँ !बच्चे को रोजे का हुक्म देना भी नमाज की तरह हुक्म रखता है - यानि जब सात साल का हो जाए तो रोजा रखने को कहा जाये, जब के उसकी ताकत रखता हो और दस साल का हो जाए तो बच्चे को मार कर रोजा रखवाया जाए -
अल्लामा शमसुद्दीन मोहम्मद खुराशानी रहमतुल्लाह अलैह लिखते हैँ | के बच्चे को रोजा रखने का हुक्म दिया जायेगा जब की वह उसकी ताकत रखता हो | इमाम अबू बकर राजी अलैहिर्रिहमा ने इसी तरह बयान किया इमाम मोहम्मद रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है के बच्चे को उस वक़्त ( रोजे का आदाब सिखाये ) जाएं |
और इमाम अबू हफ़्स रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया के दस साल के बच्चे को रोजा ना रखने पर उसी तरह मारा जाये जिस तरह नमाज ना पढ़ने पर ( मारने का हुक्म है ) और यही सही है -
( हवाला ) जामेउर रूमुज किताबूस सौम जिल्द 1 साफा 374 )
अल्लामा हसकफ़ी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैँ
के सही कौल के मुताबिक बच्चे को हुक्म दिया जायेगा जबके वह उसकी ताकत रखता हो और दस होने पर उसको ( रोजा ना रखने पर ) मारा जाये जैसे नमाज के बारे में हुक्म है |
इसके तहत अल्लामा शमी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है के अल्लामा तहतावी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया के ( रोजे रखने की ताकत की उम्र सात साल मुकरर की गई है और हमारे ज़माने में मुशाहिदा ये है के बच्चे उस उम्र रोजे रखने की ताकत नही रखते मैं कहता हूं ताकत होना जिस्म और सर्दी गर्मी में वक़्त के मुख़्तालीफ होने बदल जाएगी
और जाहिर ये है के बच्चे पुरे महीने के रोजे रखने पर कादिर न हो तो उसकी ताकत के बराबर रोजे रखवाएं
( हवाला ) दुर्रे मुख़्तार माआ। रद्दूल मुख़्तार किताबू स सौम जिल्द 3 साफा 444 )
Post a Comment