सदक़ा और फ़ितरा किसको देना चाहिए - Who Should Give Sadaqa And Fitra
सदक़ा और फ़ितरा किसको देना चाहिए - Who Should Give Sadaqa And Fitra
सदक़ ए फितर किसका किस पर वाजिब है
मर्द मालिक नेसाब पर अपनी तरफ़ से और अपने छोटे बच्चे की तरफ़ से सदक़ा फ़ितरा वाजिब है जब के बच्चा ख़ुद नेसाब का मालिक ना हो और अगर बच्चा नेसाब का मालिक है तो उस का सदक़ए फ़ितर उसी के माल से दिया जाए और मजनून औलाद अगर चे बालिग़ हो जब के ग़नी ना हो तो उस के सदक़ए फ़ितर उसके बाप पर वाजिब है और ग़नी हो तो ख़ुद उसके माल से दिया जाए (दर मुख़्तार और रद्दुल मुख़्तार)
सदक़ए फ़ितर वाजिब होने केलिए रोज़ा रखना जरुरी है या नहीं
सदक़ए फ़ितर वाजिब होने केलिए रोज़ा रखना शर्त नहीं अगर किसी उज़र सफ़र मर्ज़ बुढ़ापे की वजह से या मआज़अल्लाह बेला उज़र रोज़ा ना रख्खा जब भी वाजिब है (रद्दुल मुख़्तार और बहरे शरीयत)
बाप इन्तेकाल कर जाये तो बेटे का सदकए फ़ित्र कौन अदा करेगा
बाप ना हो तो दादा बाप की जगह है यानी अपने फ़क़ीर और यतीम पोते पोती की तरफ़ से उस पर सदक़ए फ़ितर देना वाजिब है
अपनी औरत और आक़िल बालिग़ औलाद का सदक़ए फ़ितर उसके ज़िम्मा नहीं अगर चे ये अपाहिच हों अगर चे उनका नफ़्क़ा उसके ज़ीम्मा हो (दर मुख़्तार और बहरे शरीयत वगैरह)सदक़ए फ़ितर की मिक़दार - Amount of Sadaqah Fitr
सदक़ए फ़ितर मिक़दार ये है गेहूं या उसका आटा या सत्तू आधा साअ खुजूर या मोनक़्क़ा या जौ या उसका आटा या सत्तू एक साअ (हेदाया दर मुख़्तार आलम गिरी वगैरह)
गेहूं और जौ देने से उनका आटा देना अफज़ल है और उस से अफज़ल ये के क़ीमत दे चाहे गेहूं की क़ीमत दे या जौ की या खुजूर की मगर गिरानी में ख़ुद इन चीजों का देना क़ीमत देने से अफज़ल है और अगर ख़राब गेहूं या जौ की क़ीमत दी तो अच्छे की क़ीमत से जो कमी पड़े वह पूरी करे (रद्दूल मुख़्तार)साअ का वज़न
आला दर्जा की तहक़ीक़ और एहतियात ये है के साअ वज़न ₹351 रुपया भर है और आधा साअ का वज़न ₹175 रुपया 50 पैसा भर उपर (फतावा रज़वीया) यानी इसी भर के नंबरी सेर से एक साअ चार सेर सवा छे छटानक का होता है और आधा साअ दो सेर सवा तीन छटानक का होता है आसानी और ज़्यादा एहतियात इस में है के गेहूं सवा दो सेर नंबरी और जो साढ़े चार सेर नंबरी एक एक शख़्स की तरफ़ से देंसदक़ ए फ़ितर किसको देना चाहिए
सदक़ए फ़ितर के मसरिफ वही हैं जो ज़कात के हैं यानी जिनको ज़कात दे सकते हैं उन्हें फ़ितरा भी दे सकते हैं सेवा अमिल के (यानी तहसील दार जो ज़कात फ़ितरे का रक़म उसूलते हैं) के उसके लिए ज़कात है फ़ितरा नहीं (दर मुख़्तार और रद्दूल मुख़्तार)
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