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#2 अगर कुरान शरीफ जूज़दान में हो या रुमाल वगैरह किसी अलग कपड़े में लपटा हुआ हो तो हांथ लगाने में हर्ज नहीं (हेदाया और हिंदीया )
#3 अगर कुरान शरीफ की आयत कुरान कि नीयत से ना पढ़ी तो हर्ज नहीं जैसे तबर्रुक के लिए बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़ी या अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन या मुसीबतो परेशानी में इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैहि राजिउन पढ़ी
ग़ुस्ल फर्ज कब होता है | Gusal Farz Kab Hota Hai
ग़ुस्ल फर्ज कब होता है | Gusal Farz Kab Hota Hai
किन चीज़ों से गुस्ल फर्ज़ होता है
- (1) मनी ( यानि वीर्य ) का अपनी जगह से शहवत के साथ जुदा हो कर अज़ू से निकला
- (2) एहतेलाम यानी सोते में मनी का निकल जाना
- (3) शर्म गाह में हशफ़ा तक चला जाना चाहे शहवत से हो बेला शहवत मनी का इंज़ाल हो या ना हो दोनों पर गुस्ल करता है
- (4) हैज़ यानी माह (M C) माहवारी खून से फ़राग़त पाना
- (5) नेफ़ास यानी बच्चा जनने पर जो खून आता है उस से अफारिग होना
बगैर शहवत के मनि ( यानि वीर्य ) निकलने से गुसल फर्ज होगा या नही ?
#1 मनी ( यानि वीर्य ) शहवत के साथ अपनी जगह से जूदा ना हुई बल्के बोझ उठाने या बुलंदी से गिरने की वजह से निकली तो गुस्ल वाजिब नहीं अल बत्ता वज़ू टूट गयाक्या पेशाब के वक्त मनि ( यानि वीर्य ) निकलने से गुसल वाजिब हो जाता है ?
#2 अगल मनी पतली पड़ गई के पेशाब के वक़्त या वैसेही कुछ क़तरे बेला शहवत निकल आएं तो तो गुस्ल वाजिब नहीं हां वज़ू टूट जाएगागुसल करना कब सुन्नत है ?
#3 जू मआ ईद बक़रईद के लिए और अरफा के दिन और एहराम बांधते वक़्त गुस्ल करना सुन्नत हैबे गुस्ल क्या काम कर सकता है और क्या नहीं
#1 जिस को नहाने की ज़रूरत हो उसको मस्जिद में जाना तवाफ करना कुरान मजीद छूना अगर चे उसका सादा हाशिया या जिल्द ही क्यों ना हो बगैर छुए देख कर पढ़ना या बगैर देखे पढ़ना या किसी आयत का लिखना या अंगूठी छूना या पहनना जिस पर गुरुफे मोक़त्तेआत हों यह सब हराम है |#2 अगर कुरान शरीफ जूज़दान में हो या रुमाल वगैरह किसी अलग कपड़े में लपटा हुआ हो तो हांथ लगाने में हर्ज नहीं (हेदाया और हिंदीया )
#3 अगर कुरान शरीफ की आयत कुरान कि नीयत से ना पढ़ी तो हर्ज नहीं जैसे तबर्रुक के लिए बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़ी या अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन या मुसीबतो परेशानी में इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैहि राजिउन पढ़ी
या साना की नीयत से सूरए फातिहा या आयतल कुर्सी या ऐसेही कोई आयत पढ़ी तो कुछ हर्ज नहीं जब के कुरान पढ़ने की नीयत ना हो ( हिंदीया वगैरह )
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